जो दुख तेरा वो दुख मेरा

जो दुख तेरा वो दुख मेरा

जो दुख तेरा वो दुख मेरा

बहुत दुखा है ये दिल मेरा

क्या तेरा भी दिल दुखा है

यदि हाँ तो सोचो

कैसे दूर होगा ये दुख ?

जो दुख तेरा वो दुख मेरा

दुख के दलदल में फँसकर

हमने कितना दुख पाया है

आओ आज साथ मिलकर

फिर से प्रीत का दीप जलायें।

दूरियाँ मिटाकर

आपस में सद्भाव पैदा करें।

जो दुख तेरा वो दुख मेरा

आओ साथ मिलकर

अपने सोच को बदलें

निगेटिव सोच को बदलकर

पॉजिटिव बन जायें ।

और यदि अपने सोच को बदल लें

तो जरूर होंगे कामयाब

हम जरूर होंगे कामयाब

…………..

जो दुख तेरा वो दुख मेरा ।

हवा को हवा की जरूरत है

हवा को हवा की जरूरत है

हवा को हवा की जरूरत है

पेड़ – पौधे हमें हवा देते हैं

वो कार्बन लेकर

हमें ऑक्सीजन देते हैं

लेकिन हमने उन्हें

नुकसान पहुँचाया है

उसी का परिणाम है ये ।

हवा को हवा की जरूरत है।

हवा को प्रकृति ने बनाया

लेकिन हमने उन्हें

हानि पहुँचाया ।

उसी का परिणाम है ये

आज हवा भी

बिकने लगा है ।

ऑक्सीजन की है मारामारी

हर तरफ है किल्लत

जान जाने लगी है

लेकिन हवा का मिलना है मुश्किल ,

हवा को हवा की जरूरत है।

हे इंसान ! जागो पेड़ो को लगाओ

सिर्फ पर्यावरण दिवस पर

पेड़ के साथ तस्वीर मत खिंचवाओ

तस्वीरों से बात नहीं बनेगी

हकीकत को समझो

और पेड़ो को लगाओ ।

मृत्यु हो या जन्म हो

एक पेड़ जरूर लगाओ

जन्मदिन हो

Marriage anniversaries

या हो कोई भी फंक्शन

उसपर जरूर लगाओ

एक पेड़ – एक पीपल,

आम हो या बरगद

आओ साथ मिलकर

हरियाली को बढ़ायें।

हवा को हवा की जरूरत है।

कोरोना (Covid) की परवरिश

कोरोना (Covid) परवरिश

कोरोना की परवरिश

माँ-बाप बच्चे को पालते हैं

लेकिन आज हम कोरोना को पालते हैं

कैसे पाल रहे हैं आप

कुछ इससे नफरत करते हैं

कुछ इसके साथ मजे लेते हैं

इसके स्वागत के लिए

हम मास्क लगाते हैं

फिर उन्हें गंदगी न लग जाये

इसलिए हम अच्छे से हाथों को

साफ करते हैं।

Covid security

कोरोना की परवरिश

क्या आप सावधान हैं

जी हाँ, आप यदि active हैं तो

वह आपसे कोसों दूर भाग जायेंगी

ऐसा क्यों

वो इसलिए क्योंकि

अतिथि बिन तिथि के आते हैं।

जो भी हो आप रहिए सजग

स्वागत के लिए

क्योंकि Covid मेहमान आ रहे हैं।

कोरोना (Covid) की परवरिश ..

हे संकटमोचन वीर हनुमान

हे संकटमोचन वीर हनुमान

हे अंजनी के लाल

तुझे शत् शत् नमन है

जन्म दिन की शुभकामना भी तुझे है

हे संकटमोचन तूने

राम काज किये हो

लक्ष्मण के प्राण भी बचाये हो

हे फाल्गुन सखा तूने

अर्जुन को महाभारत में

रथ पर बैठकर

जीत दिलाये हो

हे सीताशोक विनाशक !

तूने मैया सीता का पता लगाकर

श्री राम से मिलाकर

उनके दुख को दूर किया है

हे आंजनेय!

अब सुन लो

हम सब की पुकार

विश्व को महामारी से बचा लो

आप हो सक्षम

वीर हनुमंता

सुन लो पुकार

पूरे भारतवासी की

की यही है आर्त

को नहीं जानत है जग में

कपि संकट मोचन नाम तिहारो..

क्या मैं कुछ भूल रहा हूँ

क्या मैं कुछ भूल रहा हूँ

हे मानव ! तू अपने कर्तव्य को

भूलकर राह से भटक गये हो

तुझे फिर से आना होगा अपने पथ पर

तेरे ही भूल से जगत् पर संकट है आया

तूने पर्यावरण को छेड़ा

जिसका दुष्परिणाम है आया

ऑक्सीजन की है मारामारी

कोरोना ने है सबक सिखाया

अभी भी समय है

अपने कर्तव्य को निभाने का

क्या सोच रहे हो

सोचो नहीं लग जाओ

पेड़ लगाओ

सिर्फ लोगों को दिखाने

पेड़ लगाते फोटो मत खिचवाओ

सोचो,

क्या मैं भूल रहा हूँ ।

भुलाना तुझे बहुत चाहा

भुलाना तुझे बहुत चाहा

भुलाना तुझे बहुत चाहा

लेकिन भूल ना पाया तुझे

रह – रहकर याद तेरी

पल – पल आता रहा मुझे

तेरी यादों को

तेरी यादों को

सागर की लहरों में

डुबो देना चाहा

मगर फिर भी

भूल ना पाया तुझे

मैंने सोचा था

तुझे भूल पाना

इतना मुश्किल नहीं होगा

लेकिन जितना मैं तुझे

भूलना चाहा

तू और पास आते ही गया

इसलिए मुझे मालूम है

यहीं कहीं आसपास

तू मौजूद है ।

मुझे अहसास है

तू छिप – छिपकर

मुझे देख रही है

लेकिन तू पास होकर भी

मुझसे कोसों दूर है ..

भूलना तुझे बहुत चाहा

लेकिन भूल ना पाया तुझे

https://nandkishoresingh278386417.wordpress.com/2021/04/25/%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%9b%e0%a5%8b%e0%a4%a1%e0%a4%bc%e0%a4%95%e0%a4%b0-%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%93%e0%a4%97%e0%a5%87-%e0%a4%af%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%81/

क्या छोड़कर जाओगे यहाँ

क्या छोड़कर जाओगे यहाँ

और ले जाने का इरादा है कुछ यहाँ से

सोचो क्या लेकर आये थे तुम यहाँ

ना जायेगी शोहरत यहाँ से

और ना जायेगी खूबसूरती यहाँ से

अगर तुम नेकदिल हो तो

ले जा सकते हो

बहुत कुछ यहाँ से

है तुम्हारे अंदर अगर सच्चाई

है अगर इमानदारी

और हो अगर रहमदिल तो

बहुत कुछ ले जा सकते हो!

आया था खाली-खाली

लेकिन इरादा है नेक तेरा तो

अभी वक्त है बाकी

अभी भी सम्हल जा

और ले जा बहुत कुछ …

क्या छोड़कर जाओगे यहाँ

अगर छोड़कर जाने का इरादा है तो

सब जीवों पर दया करना सीखो

महान लोगों के रास्ते पर चलना सीखो

रामायण को अपना गुरु बना कर

उस रास्ते पर चलना सीख लो तो

तुम निष्फिक्र हो जाओगे इसलिए

रामायण को अपना लो

बस सब चिंता छोड़ दो।

क्या छोड़कर जाओगे यहाँ

मैं तेरी परछाई हूँ

मैं तेरी परछाई हूँ

मैं तेरी परछाई हूँ ।

जब तुम छोटे थे

तो तेरी साया बनकर

हर पल तुझको

सुख पहुँचाती थी

तेरे दुःख को

अपना कष्ट समझ कर ,

रात – रात भर जगती थी,

मैं तेरी परछाई हूँ ।

तुम छोटे थे या

आज बड़े हो

फिर भी मेरे जान हो तुम

आज बीबी – बच्चे हैं

तुम्हारे बड़े – बड़े

फिर भी मैं

तेरी परछाई हूँ ।

मैं तेरी परछाई हूँ ।

जब भी तुझको

कोई कष्ट पहुंचता

मेरी रूह दुखती है

दिल करता है

यदि मेरे वश में होता

जनम – जनम तक

परछाई बनकर

तेरी रक्षा करते रहती,

मैं तेरी परछाई हूँ ।

मैं तेरी परछाई हूँ ।

मेरे 100 subscribers पूरे ✌

मेरे 100 subscribers पूरे ✌

नमस्ते साथियो,

मेरे 100 subscribers पूरे ✌

इस खुशी के अवसर पर मैं आज आप सभी को हार्दिक बधाई देना चाहता हूँ क्योंकि आपने मुझे अपना प्रिय बनाकर इस योग्य समझा ।

मेरी कलम में इतनी ताकत कहाँ जो आपका मैं बखान कर सकूँ ।

मैं जो भी आपकी वजह से

मैं इतना कमजोर था

मुझमें चलने की शक्ति नहीं थी

लेकिन आपने मुझमें आपने

अजब सी ताकत भर दी।

https://youtube.com/channel/UC0PRvvfBfzmdufCvbT1wDRA

अब मैं कमजोर नहीं

फिर भी मुझे आपका

बेसब्री से इंतजार है।

क्या मैं लिख रहा हूँ

मुझे नहीं मालूम

परंतु आप तो समझ रहे हैं

बस इतना ही बहुत है

मेरे लिए

मैं दर – दर भटकते – भटकते

हे पाठकगण ! आपके कारण ही

कुछ हिम्मत आयी है मुझमें

आपको बहुत – बहुत धन्यवाद

क्या आप अपनी आवाज को ढूंढना चाहते हैं

क्या आप अपनी आवाज को ढूंढना चाहते हैं

नमस्ते,

बहुत सारे लोग अपने पसंद और नापसंद को बहुत ज्यादा तवज्जो देते हैं । मैं आज आपके सामने ऐसा ही लेख लेकर उपस्थित हुआ हूँ ।

क्या आप अपनी आवाज को ढूंढना चाहते हैं

“एक जीवन शक्ति है, एक जीवन शक्ति है, एक ऊर्जा है, एक जल्दी है, जो आपके द्वारा कार्रवाई में अनुवादित है।” – मार्था ग्राहम

जब मैंने गाने के लिए अपना मुंह खोला, तो मेरी आवाज मेरे गले में फंस गई। एक गुजर ब्रोन्कियल संक्रमण का कफ और जलन अभी भी थी। खांसने के कई दिनों से मेरी आवाज बजरी और तनावपूर्ण थी। और गाने की प्रक्रिया ज्यादा मजेदार नहीं थी। मेरे शरीर से आने वाली आवाज़ मुझे नहीं थी। मैंने एक-दो बार अपना गला साफ किया, लेकिन यह अभी भी खुरदरा था।

धक्का देने के बजाय, मैंने अपने गले पर दबाव कम किया और हल्के से गाती रही, देखती रही और अपनी आवाज़ दिखाने का इंतज़ार करती रही। मैंने अपने केंद्र से आने वाली ध्वनि की कल्पना करते हुए गहरी सांस ली। धीरे-धीरे, ध्वनि तब तक सुचारू हो गई जब तक मैं कनेक्टेड ध्वनि के साथ गा रहा था मुझे पता है कि मैं हूं।

वहाँ खड़े होकर, अपनी आवाज़ खोजने के साथ प्रयोग करते हुए, मैं अपनी गायन या बोलने की आवाज़ खोजने और अपनी प्रतीकात्मक या रूपक आवाज़ खोजने के बीच समानता के बारे में सोचने लगा।

सांस और स्वर के बीच संबंध से शारीरिक आवाज बहती है। रूपक ध्वनि एक व्यक्ति के मूल्यों और दृष्टि के बीच एक अनूठा संबंध है और उन्हें कार्रवाई में कैसे व्यक्त किया जाता है। जब मैं “अपनी आवाज़ खोजता हूँ”, तो मुझे अपने उद्देश्य की अनुभूति होती है। मुझे पता है कि मैं किस बारे में हूं और अपने आप को बहुत अधिक आसानी से व्यक्त करता हूं।

जब मैं अपनी आवाज खो देता हूं, तो मैं अपनी गायन आवाज को पुनः प्राप्त करने के लिए उपयोग की जाने वाली प्रक्रिया के समान फिर से पा सकता

हूं : मैं धक्का नहीं देता। बाधाएँ दबाव को कम करने, गहरी खुदाई करने और जो महत्वपूर्ण है उसे फिर से जोड़ने के लिए एक संकेत है।

मैं गहरी सांस लेता हूं और केंद्र से बोलता हूं। जब मैं केंद्र से बोलता हूं, तो मेरी शाब्दिक और आलंकारिक आवाजें मजबूत, स्पष्ट और अधिक आसानी से सुनी जाती हैं।

जैसा कि मार्था ग्राहम कहते हैं — जीवन शक्ति और ऊर्जा जो आपकी आवाज है, उसे खोजें। अभ्यास के साथ, यह शक्तिशाली और सहज हो जाएगा। लगातार अभ्यास करने से व्यक्ति उच्च से उच्चतर हो सकता है ।

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मैं अभ्यास करता हूं। अपनी आवाज को रोकना मेरे लिए संकेत है, इसे देखना, देखना और फिर से अभ्यास करना। धीरे-धीरे मुझे स्पष्ट हो जाता है कि “मेरी आवाज़” क्या लगती है और क्या महसूस करती है, और मैं इसे और आसानी से प्राप्त करने में सक्षम हूँ ।

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